संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | मूर्खो के पांच लक्षण | Sanskrit subhashit |


मूर्खो के पांच लक्षण


मूर्खो के पांच लक्षण | Sanskrit subhashit |
मूर्खो के पांच लक्षण

|| सुभाषित ||
मूर्खस्य पञ्चचिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा |
क्रोधस्य द्रधवाङ्गश्च परवाक्येश्वानादर ||

|| अर्थ ||
मूर्खो के पांच लक्षण होते है |
अहंकार(अभिमानी) चाहे कुछ भी हो मुर्ख लोग अपने अभिमान का त्याग नहीं करते,
दुर्वचन ( कटु वचन )
मुर्ख लोग कभी प्रिय वाणी नहीं बोलते
बिना मतलब का क्रोध करना
अगर कोई अच्छी सलाह दे तो भी उनलोगो के साथ बुरा व्यवहार करना
यह पंचलक्षण मूर्खो के है ||

|| जय श्री कृष्ण ||
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