संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | व्यसने मित्र परीक्षा | Sanskrit subhashit |
व्यसने मित्र परीक्षा
सुभाषित
व्यसने मित्र परीक्षा शूरपरीक्षा रणांगने भवति |
विनये भृत्यपरीक्षा दान परीक्षाश्च दुर्भिक्षे ||
संस्कृत सुभाषित |
अर्थ
मित्र की परीक्षा बुरे समय में होती है
शूरवीर की परीक्षा युद्ध के समय होती है
नौकर की परीक्षा उनके मालिक के साथ अच्छे बर्ताव से होती है |
|| जय श्री कृष्ण ||
संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | व्यसने मित्र परीक्षा | Sanskrit subhashit |
Reviewed by Bijal Purohit
on
9:55 am
Rating:
Mitra Pariksha
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