संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | व्यसने मित्र परीक्षा | Sanskrit subhashit |


व्यसने मित्र परीक्षा 


सुभाषित 

व्यसने मित्र परीक्षा शूरपरीक्षा रणांगने भवति | 
विनये भृत्यपरीक्षा दान परीक्षाश्च दुर्भिक्षे || 

 व्यसने मित्र | Sanskrit subhashit |
संस्कृत सुभाषित 
अर्थ 

मित्र की परीक्षा बुरे समय में होती है 
शूरवीर की परीक्षा युद्ध के समय होती है 
नौकर की परीक्षा उनके मालिक के साथ अच्छे बर्ताव से होती है | 

|| जय श्री कृष्ण || 
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