संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | परोपकाराय फलन्ति वृक्ष | Sanskrit Subhashita |
संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित
|| सुभाषित ||
परोपकाराय फलन्ति वृक्ष:
परोपकाराय बहन्ति नद्यः |
परोपकाराय दुहन्ति गावः
परोपकरार्थं इदं शरीरं ||
संस्कृत सुभाषित |
|| अर्थ ||
जिस तरह से वृक्ष अपने फल खुद को नहीं खाता
वो दुसरो के लिए ही अपने फल को त्याग देता अर्थात
वो फल दूसरे लोग ही खाते है,
जिसे तरह नदिया परोपकार के लिये बहती है अर्थात
नदियों के पानी को किसान लोग खेती में प्रयोग करते है,
पानी पिने के लिए प्रयोग करते है,
जिस तरह गाय अपना दूध खुद नहीं पीती अर्थात
गाय का दूध अन्य लोग ही पीते है
उसी तरह अपना जीवन परोपकार के लिये इस्तेमाल करना चाहिये |
|| जय श्री कृष्ण ||
संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | परोपकाराय फलन्ति वृक्ष | Sanskrit Subhashita |
Reviewed by Bijal Purohit
on
5:28 am
Rating:
गावः
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