संस्कृत सुभाषित | नारी महिमा | Sanskrit Subhashita |
यत्र: पूज्यन्ते नार्यन्तु
संस्कृत सुभाषित || सुभाषित || यत्रः नार्यः तू पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता | यत्र एताः तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रा अफलाः क्रियाः || |
|| अर्थ ||
जहा नारी का सन्मान होता है
( जो पूजने योग्य हो ) चाहे वो पत्नी के रूप में हो,
माँ के रूप हो, या पुत्री के रूप में हो
वहा स्वयं देवता भ्रमण और रमण करते है
लेकिन जहा नारीका अपमान ही होता हो
सन्मान ना होता हो वहा किये गए सभी कार्य निष्फल हो जाते है ||
|| अस्तु ||
|| जय श्री कृष्ण ||
संस्कृत सुभाषित | नारी महिमा | Sanskrit Subhashita |
Reviewed by Bijal Purohit
on
9:13 am
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