बगला प्रत्यंगिरा कवच | शत्रु निवारण कवच | Bagla Pratyangira Kavach |
बगला प्रत्यंगिरा कवच
शत्रु निवारण कवच
बगला प्रत्यंगिरा कवच |
शत्रुओ को परास्त करने का अमोघ कवच
इस कवच के पाठ से वायु भी स्थिर हो जाता है
माँ बगलामुखी सभी प्रकार के सुखदेनेवाली है
भोग-मोक्ष-वैभव देनेवाली है
पिले वस्त्र धारण कर इसका पाठ
किसी भी गुरूवार-पूर्णिमा-अमावस्या में करे |
इस स्तोत्र का विधान रुद्रयामल में शिव पार्वती संवाद से उजागृत हुआ है |
इस स्तोत्र के 100 पाठ से वायु भी स्थिर हो जाता है |
किन्तु कलिकाल में इसके 400 पाठ करने चाहिए |
अगर किसी ने कुछ कर दिया हो जैसे मारण, मोहन,
उच्चाटन,स्तम्भन आदि तो यह कवच का पाठ जरूर करना ही चाहिए |
इस कवच के पाठ से साधक के सभी कार्य सफल हो जाते है |
और शत्रु का विनाश हो जाता है |
विनियोग:
ॐ अस्य श्री बगला प्रत्यंगिरा मंत्रस्य नारद ऋषिः स्त्रिष्टुपछन्दः प्रत्यंगिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः ह्रीं कीलकं ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः |
ॐ प्रत्यंगिरायै नमः प्रत्यंगिरे सकल कामान साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान शत्रुन खादय खादय,मारय मारय,घातय घातय, ॐ ह्रीं फट स्वाहा |
ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहिनी तथा |
संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी ||
इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः |
धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी ||
ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून क्षोभय क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं सँहारिणी मम शत्रून संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं द्राविणी मम शत्रून द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं जृम्भिणी मम शत्रून जृम्भय जृम्भय ह्रीं ॐ स्वाहा |
ॐ ह्रीं रौद्रि मम शत्रून संतापय संतापय ॐ ह्रीं स्वाहा |
|| इति बगला प्रत्यङ्गिरा कवच ||
बगला प्रत्यंगिरा कवच | शत्रु निवारण कवच | Bagla Pratyangira Kavach |
Reviewed by Bijal Purohit
on
5:12 am
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