देवी अर्गला स्तोत्र हिंदी | Argala Stotra Hindi |
देवी अर्गला स्तोत्र हिंदी
देवी अर्गला स्तोत्र हिंदी |
ॐ चण्डिकादेवीको नमस्कार है |
मार्कण्डेयजी कहते हैं -
जयन्ती,मंगला,काली,भद्रकाली,
कपालिनी,दुर्गा,क्षमा,शिवा,धात्री,
स्वाहा और स्वधा
इन नामोंसे प्रसिद्ध जगदम्बिके ! तुम्हें मेरा नमस्कार हो |देवी चामुण्डे !
तुम्हारी जय हो | सम्पूर्ण प्राणियोंकी पीड़ा हरनेवाली देवी ! तुम्हारी जय हो |
सबमें व्याप्त रहनेवाली देवि ! तुम्हारी जय हो |
कालरात्रि ! तुम्हें नमस्कार हो || १ - २ ||
मधु और कैटभको मारनेवाली तथा ब्रह्माजीको वरदान देनेवाली देवि !
तुम्हें नमस्कार है |
तुम मुझे रूप ( आत्मस्वरूपका ज्ञान ) दो, जय ( मोहपर विजय ) दो, यश ( मोह - विजय तथा ज्ञान - प्राप्तिरूप यश ) दो और
काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ३ ||
महिषासुरका नाश करनेवाली तथा भक्तोंको सुख देनेवाली देवि ! तुम्हें नमस्कार है | तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ४ ||
रक्तबीजका वध और चण्डमुण्डका विनाश करनेवाली देवी ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ५ ||
शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्रलोचनका मर्दन करनेवाली देवी ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ६ ||
सबके द्वारा वन्दित युगल चरणोंवाली तथा सम्पूर्ण सौभाग्य प्रदान करनेवाली देवी ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ७ ||
देवी ! तुम्हारे रूप और चरित्र अचिन्त्य हैं | तुम समस्त शत्रुओंका नाश करनेवाली हो | रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ८ ||
पापोंको दूर करनेवाली चण्डिके ! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारे चरणोंमें सर्वदा मस्तक झुकाते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ९ ||
रोगोंका नाश करनेवाली चण्डिके !रोंगोंका नाश करनेवाली चण्डिके ! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १० ||
चण्डिके ! इस संसारमें जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || ११ ||
मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो |
परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १२ ||
जो मुझसे द्वेष रखते हों, उनका नाश और मेरे बलकि वृद्धि करो | रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १३ ||
देवी ! मेरा कल्याण करो | मुझे उत्तम सम्पत्ति प्रदान करो | रप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १४ ||
अम्बिके ! देवता और असुर - दोनों ही अपने माथेके मुकुटकी मणियोंको तुम्हारे चरणोंपर घिसते रहते हैं |
तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १५ ||
तुम अपने भक्तजनको विद्वान, यशश्वी और लक्ष्मीवान बनाओ तथा रूप दो, जय दो, यश दो और उसके काम -क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १६ ||
प्रचण्ड दैत्योंके दर्पका दलन करनेवाली चण्डिके ! मुझ शरणागतको रु दो, जय दो, यश दो और मेरे काम -क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १७ ||
चतुर्मुख ब्रह्माजीके द्वारा प्रंशसित चार भुजाधारिणी परमेश्वरि ! तुम रो दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १८ ||
देवी अम्बिके ! भगवान विष्णु नित्य - निरन्तर भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते रहते हैं | तुम रूप दो,जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || १९ ||
हिमालय - कन्या पार्वतीके पति महादेवजीके द्वारा प्रशंसित होनेवाली परमेश्वरि ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || २० ||
शचीपति इन्द्रके द्वारसभ्दावसे पूजित होनेवाली परमेश्वरि |
तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || २१ ||
प्रचण्ड भुजदण्डोंवाले दैत्योंका घमंड चूर करनेवाली देवि ! तुम रूप दो,जय दो, यश दो और काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || २२ ||
देवि अम्बिके ! तुम अपने भक्तजनोंके सदा असीम आनन्द प्रदान करती रहती हो | मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और
मेरे काम - क्रोध आदि शत्रुओंका नाश करो || २३ ||
मनकी इच्छाके अनुसार चलनेवाली मनोहर पत्नी प्रदान करो, जो दुर्लभ संसारसागरसे तारनेवाली तथा उत्तम कुलमें उत्पन्न हुई हो || २४ ||
जो मनुष्य इस स्तोत्रका पाठ करके सप्तशतीरूपी महास्तोत्रका पाठ करता है, वह सप्तशतीकी जप - संख्यासे मिलनेवाली श्रेष्ठ फलको प्राप्त होता है |
साथ ही वह प्रचुर सम्पत्ति भी प्राप्त कर लेता है || २५ ||
|| अस्तु ||
देवी अर्गला स्तोत्र हिंदी | Argala Stotra Hindi |
Reviewed by Bijal Purohit
on
3:09 am
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