गणेश लक्ष्मी स्तोत्र | Lakshmi Prapati Ganpati Stotram |
लक्ष्मी प्राप्ति स्तोत्र
गणेश लक्ष्मी स्तोत्र |
स्तोत्र प्रयोग
दिवाली की रात को इस स्तोत्र का सिर्फ 108 बार पाठ करले |
यह सिद्ध हो जाएगा |
या भाद्रपद शुक्ल चर्तुथी से लेकर चतुर्दशी तक इस स्तोत्र के प्रतिदिन 108 पाठ करे आपने कभी सोचा भी नहीं होगा ऐसा अद्भुत परिणाम मिलेगा |
श्री गणेश-लक्ष्मी स्तोत्र
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |
दुष्टारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने ||
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोप शोभितं |
अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |
सर्वसिद्धिप्रदोसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदोभव ||
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |
सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ||
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||
स्तोत्रार्थ
सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सत्चिदानद स्वरुप विघ्नराज गणेश को नमस्कार है |
जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करनेवाले परात्पर परमात्मा है
उन गणपति को नमस्कार है |
जो महापराक्रमी लम्बोदर,सर्पमय,यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचंद्रधारी और सभी विघ्नो का विनाश करनेवाले है |
उन गणपति की में वंदना करता हु |
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है |
हे भगवान् आप ही सभी सभी सिद्धियों के दाता हो |
आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धि दायक हो |
आपको मोदक सदा सर्वप्रिय है |
आप मन के द्वारा चिंतित अर्थ को देनेवाले हो |
सिंदूर और लालवस्त्र से पूजित होकर सदा आप वरदान प्रदान करते है |
जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त हो एवं इस गणपतिस्तोत्र का पाठ करता है ,
स्वयं लक्ष्मी उनके देह-गेह को नहीं छोड़ती |
|| गणेश-लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णं ||
कोई टिप्पणी नहीं: