श्री शिवमानस पूजा | Shree Shivmanas Puja |


 श्री शिवमानस पूजा

 श्री शिवमानस पूजा




रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं दिव्याम्बरं 

नानरत्नविभूषितं मृगमदा मोदाङ्कितं चन्दनं || 

जाती-चम्पक-बिल्व-पत्र-रचितं पुष्पं धूपं तथा 

दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं  गृह्यताम || 

भावार्थः 

हे देव, हे दयानिधे, हे पशुपते, यह रत्ननिर्मित सिंहासन, शीतल जल से स्नान, नाना रत्ना से विभूषित दिव्य वस्त्र, कस्तूरि आदि गन्ध से समन्वित चन्दन, जूही, चम्पा और बिल्वपत्रसे रचित पुष्पांजलि तथा धूप और दिप - यह सब मानसिक [ पूजोपहार ] ग्रहण कीजिये



सौवर्णे मणिरत्न-खण्ड-रुचिते पात्रे घृतं पायसं 

भक्ष्यं पञ्च-विधं-पयो-दधि-युतं रम्भाफलं मानसम् |  

शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूर-खण्डोज्ज्वलं 

ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु || 

भावार्थः 

मैंने नवीन रत्नखण्डोंसे जड़ित सुवर्णपात्र में धृतयुक्त खीर, दूध और दधिसहित पांच प्रकार का व्यंजन,कदलीफल, शरबत, अनेकों शाक, कपूरसे सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल तथा ताम्बूल - ये सब मनके द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये हैं | हे प्रभो, कृपया इन्हें स्वीकार कीजिये


छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलम् |  

वीणा-भेरि-मृदङ्ग-काहलकला गीतं नृत्यं तथा

साष्टाङ्ग प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया 

संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो || 

भावार्थः 

छत्र, दो चँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, विणा, भेरी, मृदंग, दुन्दुभि के वाघ, गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नानाविधि स्तुति - ये सब मैं संकल्पसे ही आपको समर्पण करता हूँ | हे प्रभु, मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये



आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं 

पूजा ते विषयोपभोग-रचना निद्रा समाधि-स्थितिः

सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो 

यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् || 

भावार्थः 

हे शम्भो, मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वतीजी हैं, प्राण आपके गण हैं, शरीर आपका मन्दिर हैं, सम्पूर्ण विषयभोगकी रचना आपकी पूजा है, निद्रा समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं | इस प्रकार मैं जो-जो कार्य करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है


कर-चरण-कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा 

श्रवण-नयनजं वा मानसं वापराधम् |  

विहितमविहितं वा सर्वमेतत-क्षमस्व 

जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो || 

भावार्थः 

हाथोंसे, पैरोंसे, वाणीसे, शरीरसे, कर्मसे, कर्णोंसे, नेत्रोंसे अथवा मनसे भी जो अपराध किये हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको हे करुणासागर महादेव शम्भो | आप क्षमा कीजिये | हे महादेव शम्भो, आपकी जय हो, जय हो |


|| इति श्रीमद शंकराचार्य विरचिता श्री शिवमानस पूजा सम्पूर्णं ||


श्री शिवमानस पूजा | Shree Shivmanas Puja | श्री शिवमानस पूजा | Shree Shivmanas Puja | Reviewed by Bijal Purohit on 11:04 am Rating: 5

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