श्री धूमावती माला मन्त्र | Shree Dhumavati Mala Mamtra |
श्री धूमावती माला मन्त्र
ॐ धूं धूमावति चतुर्दश भुवननिवासिनि सकल
ग्रहोच्चाटनि सकलशत्रु रक्तमांसभक्षिणि, मम शरीररक्षिणि भूतप्रेत पिशाचब्रह्मराक्षसादि सकलग्रहसंहारिणि मम
शरीर परतन्त्र-परयन्त्र-परतन्त्रनिवारिणि आत्ममन्त्रयन्त्रतन्त्र प्रकाशिनि मम
शरीरे परकट्टु-परवाटु-परवेट्टु-परजप-परहोम-परशून्य-परवृष्टि-
परकौतुक-परौषधादिच्छेदिनि-चिट्टेरि-
काहेरि-कन्नेरि-पाट्टेरि शुनककाट्टेरि-प्ररिटिकाट्टेरि-
दर्भकाट्टेरि-पातालकाट्टेरि-सकलजातिकाट्टेरि-
ग्रहच्छेदिनि-मम
नाभि-कमलस्थान-संचारग्रहसंहारिणि धूम्रलोचनि
उग्ररूपिणि सकलविषच्छेदिनि सकलविषसंचायन्
नाशय नाशय
मारय मारय
विषमज्वर-तापज्वर-शीतज्वर-वातज्वर-लूतज्वर-
पयत्यज्वर-पिशाचज्वर-कृत्रिमज्वर-नानादोषज्वर-सकलरोगनिवारिणि सकलग्रहच्छेदिनि शिरःशूलाक्षिशूल-
कुक्षिशूल कर्णशूल-नाभिशूल-कटिशूल-
पार्श्वशूल-गण्डशूल-गुल्मशूलांगशूल-सकलशूलान् निधूंमय सकलग्रहान्
निवारय निवारय
रां रा रां रां रां
ध्रूं ध्रूं ध्रूं ध्रूं ध्रूं
फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें
धूं धूं धूं धूं धूं
|| अस्तु ||
श्री धूमावती माला मन्त्र | Shree Dhumavati Mala Mamtra |
Reviewed by Bijal Purohit
on
5:48 am
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