नित्य कर्म क्या है ? Nitya Karm kya hai ?
नित्य कर्म क्या है ?
हर एक मनुष्य एक दुविधा में रहता है की नित्य कर्म कौन से है ?
नित्य कर्म क्या है ? नित्य क्रम में क्या करना चाहिये ?
तो यहाँ एक शास्त्रोक्त प्रमाण दे रहा हु |
हमारे शास्त्रों में षट कर्म बताये है जो नित्य करने से सबकुछ प्राप्त होता है |
|| नित्य कर्म ||
स्नानं संध्या जपो होमः स्वाध्यायो देवतार्चनं |
तर्पणं वैश्वदेवं च षट कर्माणि दिने दिने ||
|| श्लोकार्थ ||
स्नान - जो हमारे देह को शुद्ध करने के लिये आवश्यक है किन्तु आत्मशुद्धि और पूजा के अधिकार को प्राप्त करने के लिये बहुत ही जरुरी है |
संध्या - त्रिकाल संध्या का प्रावधान है शास्त्रों में प्रातःसंध्या,मध्यान्ह संध्या,सायंसन्ध्या यह प्रतिदिन करनी चाहिये |
संध्या करने से देह स्वस्थ रहता है और कई सारे लाभ होते है |
जप - जो जन्मो के पापो का विनाश करे उसे जप कहते है यह भी एक महत्वपूर्ण अंग है प्रतिदिन गायत्री का जाप तथा अपने इष्टदेवता का जाप करने चाहिए |
होम - यज्ञ प्रतिदिन प्रायश्चित्त करने के लिये और धन आदि प्राप्ति के लिये यज्ञ करना चाहिये |
स्वाध्याय - स्व अध्ययन यानी स्वाध्याय प्रति दिन करना चाहिये वेदो का पुराणों का उपनिषदों का पाठ करे वो |
वैश्वदेव - विश्व के देवो को प्रसन्न करने के लिये और पांच प्रकार के पापो से मुक्त होने के लिये यह कर्म करना चाहिए |
इसके अलावा तर्पण- और भगवान् का अर्चन भी करना चाहिए ||
|| अस्तु ||
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