राम नाम का महिमा | Ram Naam ka Mahima |
राम नाम का महिमा
राम नाम एक ऐसा नाम जिसके केवल स्मरण मात्र से ही चाहे कितने भी जाने अनजाने में पाप किये हो सब भस्मीभूत हो जाते है |
इसका अत्यंत उदाहरण रामायण में ही देखने को मिलता है जब लंका के लिए समुद्र को पार करना होता है,
तब पत्थर पर राम नाम लिखने मात्र से पत्थर भी तैर गाये और रामसेतु बना ऐसे तो कई सारे लोगो के जीवन में अनुभव है जो राम भक्ति में लीन है |
किन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की क्यों
राम नाम में इतनी शक्ति है ?
क्यों रामनाम इतना महान है ?
आज इसी लेख में आपको बता रहा हु की क्यों रामनाम क्यों महान है ?
जैसे चोपाई के माध्यम से ही कहाँ है की
उलटा नाम जपतजगजाना | वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना | |
भावकुभाव अनख आलसहु | नाम जपत मंगल दिशि दसहु ||
यह कलिकाल न साधन दूजा | रामनाम अवलम्बन एक ||
वाल्मीकि मुनि ने "राम" की जगह "मरा" उल्टा नाम का जाप किया फिर भी वो ब्रह्मसमान हो गए |
अर्थात कोई भी मनुष्य भाव-कुभाव से भी अगर रामनाम का उल्टा उच्चारण करे तो भी वो सर्वमङ्गलमय बन जाता है |
इस कलियुग में रामनाम से उत्तम कोई नाम नहीं है |
राम नाम का अर्थ
रमन्ते सर्वभूतेषु स्थावरेषु चरेषु च |
अंतराम स्वरूपेण यश्च रामेति कथ्यते ||
जो सब जीवो में चल और अचल स्वरुप में बिराजते है उन्हें ही राम कहते है |
राम नाम का अर्थ ( रामायण अनुसार )
बंदउ नाम राम रघुबर को | हेतु कृसानु भानु हिमकर को ||
बिधि हरि हरमय बेद प्राण सो | अगुन अनूपम गुन निधन सो ||
में रघुनाथ जी का स्मरण करता हु जो नाम
कृषा(अग्नि), भानु(सूर्य)का, और हिमदायक(चंद्र) बीजा मंत्र है |
अर्थात "र" "आ" "म" = " राम "
वो रामनाम ब्रह्मा-विष्णु-शिव स्वरुप है, जो वेदो के प्राण है
जो निर्गुण और सर्वगुणो से युक्त है ||
नारदपुराण के अनुसार राम नाम का अर्थ
र - कार बीज मंत्र अग्निनारायण का है
जिसका काम शुभाशुभ कर्म को भस्म करदेना है |
आ - कार बीज सूर्यनारायण का है
जिसका काम मोहान्धकार को विनाश करना है |
म - कार बीज चंद्रनारायण का है
जिसका काम त्रिविध ताप को संहार करने का है |
इस तरह से नारदजी ने राम का अर्थ बताया हुआ है |
"रमन्ति इति राम" जो रोम रोम में बसते है वो राम है |
रामचरितमानस के अनुसार राम नाम महिमा
महामंत्र जोई जपतमहेसु | कासी मुकुति हेतु उपदेशु ||
महिमा जासु जान गनराउ | प्रथम पूजित नाम प्रभाउ ||
ऐसा महान महामन्त्र जिसे स्वयं महेश्वर शिव जपते है,
उनके उपदेस से ही काशी मुक्ति का धाम बना है,
जिसकी महिमा भगवान् गणेश जी भी जानते है,
इसी के कारण वो प्रथम पूजित अधिकारी बने |
|| अस्तु ||
|| जय सियाराम ||
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