शिव पंचाक्षरी मंत्र | Shiv Panchakshari Mantra |

 

शिव पंचाक्षरी मंत्र

शिव पंचाक्षरी मंत्र



भगवान् भोलेनाथ-महादेव-शिव का सरल सुगम और सबसे प्रिय मंत्र " नमः शिवाय"

जैसे हमारे ऋषियों ने कहा है "शिवमंत्र महामंगल कारी " नमः शिवाय - नमः शिवाय

बहुत से शिव भक्त भगवान् शिव की उपासना मूलमंत्र से करते है जो है 

नमः शिवाय किन्तु अगर इसी मन्त्र को शास्त्रोक्त विधान के साथ किया जाए तो उसमे पूछना ही क्या ?

यह चारो और से भगवान् शिव की पूर्ण कृपा देता है, इसमें कोई संदेह नहीं है

इस मंत्र का विधान 

इस मंत्र के शास्त्रोक्त विधान में विनियोग-न्यास-भगवान् शिव का ध्यान करने के बाद ही इस मंत्र का मंत्र जाप करे


विनियोगः 

अस्य मंत्रस्य वामदेवऋषि, पंक्ति छंद, ईशानदेवता, बीजाय, नमः शक्तये, शिवायेति कीलकाय, सदाशिव प्रसन्नार्थे जपे विनियोगः


ऋष्यादिन्यास 

वामदेवर्षये नमः शिरसि | बोलकर अपने सर को स्पर्श करे

पंक्ति छन्दसे नमः मुखे | बोलकर मुख को स्पर्श करे

ईशान देवतायै नमः हृदि | बोलकर ह्रदय को स्पर्श करे

बीजाय नमः गुह्ये | बोलकर अपने गुप्त भाग को स्पर्श करे

नमः शक्तये नमः पादयोः | बोलकर अपने दोनों पैरो को स्पर्श करे

शिवायेति कीलकाय नमः नाभौ | बोलकर अपनी नाभि को स्पर्श करे

विनियोगाय नमः सर्वांगे | बोलकर अपने दोनों हाथो को अपने सर से लेके पैरो तक घुमाये या फेरे


पञ्चाङ्गन्यास 

अंगुष्ठाभ्यां नमः |

नं तर्जनीभ्यां नमः |

मं मध्यमाभ्यां नमः |

शिं अनामिकाभ्यां नमः

वां कनिष्ठिकाभ्यां नमः |

यं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः


हृदयादिन्यास 

हृदयाय नमः |

नं शिरसे स्वाहा |

मं शिखायै वौषट

शिं कवचाय हुम् |

वां नेत्रत्रयाय वौषट |

यं अस्त्राय फट


ध्यान 

भगवान् शिव के आगे नतमस्तक होकर ध्यान करे दोनों आँखे बांध करे

अगर मन्त्र मुखपाठ हो तो आँखे खोलकर मंत्र पढ़कर ध्यान धरे

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रा वतंसं 

रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नं

पद्मासीनं समन्तात्स्तुममरगणै व्याघ्रकृत्तिं वसानं 

विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रं || 


कौन सी माला का प्रयोग करे ?

इस मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करे


मंत्र : " नमः शिवाय


कितने मंत्र जाप करने चाहिये ?

इस मंत्र के सवालक्ष मंत्र कर सकते है या 

इस का मूल अनुष्ठान लाख मंत्रो का है वो करे या 

प्रतिदिन ११ माला भी कर सकते है

या फिर प्रथम अनुष्ठान १२००० मंत्र यानी १२० माला करे 

पश्चात् दशांश हवन- तर्पण-मार्जन करे


कब करना चाहिए ?

महाशिवरात्रि - या प्रतिमाह की शिवरात्रि या अमावस्या को यह मंत्र कर सिद्ध करे


|| नमः शिवाय || 

|| अस्तु || 

शिव पंचाक्षरी मंत्र | Shiv Panchakshari Mantra | शिव पंचाक्षरी मंत्र | Shiv Panchakshari Mantra | Reviewed by Bijal Purohit on 1:30 am Rating: 5

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