दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करना चाहिए ? चंडीपाठ करने की विधि | Durga Saptshati Paath kaise kare ?
दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करना चाहिए ?
सर्वप्रथम आचमन करे |
प्राणायाम करे | ( पूरक - कुम्भक - रेचक )
संकल्प करे |
आसनादि पर बैठकर शुरुआत करे पाठ करने की |
सर्वप्रथम नारायण को नमस्कार करे |
"नारायणं नमस्कृत्येति वचनात"
ॐ नारायणाय नमः
नराय नरोत्तमाय नमः
देव्यै सरस्वत्यै नमः
व्यासाय नमः ||
यह बोलकर
"प्रणवमुच्चार्यसर्वपाठान्तेप्रणवं पठेत"
पश्चात ॐ का उच्चारण करे और पाठ के अंत में भी
ॐ का उच्चारण करना चाहिए |
पाठ के नियम
वैसे तो लिखा है की पुस्तक को हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए |
सही पुस्तक का प्रयोग करे |
अध्याय समाप्त होने पर थोड़ा विश्राम ले सकते है |
अध्याय के बीच में रुके नहीं |
अगर अध्याय के बीच में किसी कारणवश विश्राम लेना पड़े तो फिर से अध्याय पढ़ना चाहिए |
स्पष्ट उच्चारण से पढ़ें चाहिए |
अति उतावले पन में पाठ नहीं करना चाहिए |
ना बहुत धीरे न शीघ्र पढ़ना चाहिए |
मध्यम गति से स्पष्ट उच्चारण से ही पाठ पढ़ना चाहिए |
माँ दुर्गा का यह कथन है
सर्वकाल भक्ति रहित मेरा माहात्म्य पढ़ना चाहिए |
सर्व शांति कर्मो में |
दुष्ट स्वप्नों का विनाश करने |
ग्रहपीड़ा शांत करने के लिए |
महाभयंकर आपत्तियों से मुक्ति के लिए मेरा माहात्म्य श्रवण करे |
सभी संकटो की मुक्ति के लिए |
उपद्रवों के विनाश के लिए तीन पाठ करे |
ग्रहपीड़ा शांति के लिए पांच पाठ करे |
महाभय विनाशअर्थे सात पाठ करे |
शांति और वाजपेय यज्ञ की फल प्राप्ति के लिए नव पाठ करे |
राजा को वश करने के लिए ग्यारह पाठ करे |
शत्रु विनाश अर्थे बारह पाठ करे |
स्त्री या पुरुष को वश करने के लिए चौदह पाठ करे |
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए धन धान्य आदि प्राप्ति के लिए सोलह पाठ करे |
राजभय विनाश के लिए सत्रह पाठ करे |
उच्चाटन के लिए अठारह पाठ करे |
बंधन मुक्ति के लिए पचीस पाठ करे |
महारोग निवारण अर्थे-राज्यवृद्धि अर्थे-शत्रुविनाश अर्थे सौ पाठ करे |
सौ अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्ति के लिए एक हजार पाठ करे |
यह विधान स्वयं माँ भगवती ने वाराही तंत्र में कहा है |
किन्तु याद रखे कामना अनुसार संकल्प करके हि पाठ करे |
|| अस्तु ||
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