अगस्त्य कृत लक्ष्मी स्तोत्र | lakshmi Stotra |

 

अगस्त्य कृत लक्ष्मी स्तोत्र

अगस्त्य कृत लक्ष्मी स्तोत्र


यह स्तोत्र स्कंदपुराण में स्थित है |

इसी स्तुति से ( स्तोत्र )

से अगस्त्यमुनि ने भगवती लक्ष्मीजी को प्रसन्न किया था |

इस स्तोत्र से प्रसन्न होकर लक्ष्मीजी ने वरदान दिया था |

जो कोई मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करता है उसके कुल में स्थित सात जन्मो तक की दरिद्रता का विनाश हो जायेगा |

इस स्तोत्र को प्रतिदिन नित्य पूजा से पहले या बाद में कर सकते हो |


श्री अगस्तिरुवाच ( अगस्त्य उवाच )

मातर्नमामि कमले कमलायताक्षि

श्रीविष्णुहृत्कमलवासिनि विश्वमातः |

क्षीरोदजे कमलकोमलगर्भगौरि

लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये ||


त्वं श्रीरूपेन्द्रसदने मदनैकमात 

र्ज्योत्स्नासि चन्द्रमसि चन्द्रमनोहरास्ये

सूर्ये प्रभासि जगत्त्रितये प्रभासि 

लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये || 


त्वं जातवेदसि सदा दहनात्मशक्ति

र्वेधास्त्वया जगदिदं विविधं विदध्यात् |

विश्वम्भरोऽपि बिभृयादखिलं भवत्या

 लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये ||


त्वत्त्यक्तमेतदमले हरते हरोऽपि

त्वं पासि हंसि विदधासि परावरासि |

ईड्यो बभूव हरिरप्यमले त्वदाप्त्या

 लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये ||


शूरः एव गुणी बुधः धन्यो

मान्यः एव कुलशीलकलाकलापैः |

एकः शुचिः हि पुमां सकलेपि लोके

यत्रापतेत्तव शुभे करुणाकटाक्षः ||


यस्मिन्वसे: क्षणमहो पुरुषे गजेऽश्वे

स्त्रैणे तृणे सरसि देवकुले गृहेऽन्ने |

रत्ने पतत्रिणी पशौ शयने धरायां

सश्रीकमेव सकले तदिहास्ति नान्यत् ||


त्वत्स्पृष्टमेव सकलं शुचितां लभेत

 त्वत्त्यक्तमेव सकलं त्वशुचीह लक्ष्मि |

त्वन्नाम यत्र सुमङ्गलमेव तत्र

श्रीविष्णुपत्नि कमले कमलालयेऽपि ||


लक्ष्मीं श्रियं कमलां कमलालयां

पद्मांरमां नलिनयुग्मकरां मां |

क्षीरोदजाममृतकुम्भकराभिरां

विष्णुप्रियामिति सदा जपतां क्व दुःखम् ||


( स्कंदपुराण/--८७ )


|| अस्तु ||

अगस्त्य कृत लक्ष्मी स्तोत्र | lakshmi Stotra | अगस्त्य कृत लक्ष्मी स्तोत्र | lakshmi Stotra | Reviewed by Bijal Purohit on 2:19 pm Rating: 5

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