श्री सरस्वती स्तोत्र | Shree Saraswati Stotra |

 

श्री सरस्वती स्तोत्र

श्री सरस्वती स्तोत्र 


साक्षात् बृहस्पति रचित

विद्या ज्ञान बुद्धि प्रदान करनेवाला

परीक्षा से पहले 11 पाठ करके घर से निकले


सरस्वति नमस्यामि चेतना हृदि संस्थिताम् |

कण्ठस्थां पद्मयोनिं त्वां ह्रींकारां सुप्रियां सदा ||


मतिदां वरदां चैव सर्वकामफलप्रदाम् |

केशवस्य प्रियां देवीं वीणाहस्तां वरप्रदाम् ||


मंत्रप्रियां सदा हृद्यां कुमतिध्वंसकारिणीम् |

स्वप्रकाशां निरालम्बामज्ञानतिमिरापहाम् ||


सोक्षप्रियां शुभां नित्यां सुभगां शोभनप्रियाम्

पद्मोपविष्टां कुण्डलिनीं शुक्लवस्त्रां मनोहराम् || 


आदित्यमण्डले लीनां प्रणमामि जनप्रियाम् |

ज्ञानाकारां जगद्वीपां भक्तविघ्नविनाशिनीम् ||


इति सत्यं स्तुता देवी वागीशेन महात्मना |

आत्मानं दर्शयामास शरदिन्दुसमप्रभाम् ||


|| श्रीसरस्वती उवाच ||

वरं वृणीष्व भद्रं त्वं यत्ते मनसि वर्तते |


|| बृहस्पतिरुवाच ||

प्रसन्ना यदि में देवि परं ज्ञानं प्रयच्छ में |


|| श्री सरस्वत्युवाच ||

दत्तं ते निर्मलं ज्ञानं कुमतिद्वंसकारकम् |

स्तोत्रेणाणेण मां भक्त्या ये स्तुवन्ति सदा नराः ||


लभन्ते परमं ज्ञानं मम तुल्यपराक्रमाः |

कवित्वं मत्प्रसादेन प्राप्लुवन्ति मनोगतं || 


त्रिसन्ध्यं प्रयतो भूत्वा यस्त्विंमं पठते नरः |

तस्य कण्ठे सदा वासं करिष्यामि संशयः ||


|| श्री रुद्रयामले श्रीबृहस्पति विरचितं सरस्वती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||




श्री सरस्वती स्तोत्र | Shree Saraswati Stotra | श्री सरस्वती स्तोत्र | Shree Saraswati Stotra | Reviewed by Bijal Purohit on 5:19 pm Rating: 5

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