सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ? सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र | Surya ko arghya kyu dete hai ?

 

सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ?

सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ? सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र 


सूर्य को अर्घ्य क्यों देना चाहिए ?

 या सूर्य को अर्घ्य क्यों देते है ?

सूर्य अर्घ्य का महत्व

भगवान् सूर्य आरोग्य के देवता है |

सूर्य नारायण प्रसन्न होकर आयु-आरोग्य-स्थिरलक्ष्मी-धन-धान्य-पुत्र-यश-ब्रह्मतेजस-विद्या-वैभव

आदि सभी सुख प्रदान करते है अगर नित्य अर्घ्य दिया जाए तो |

अनगिनत प्रमाण और अनगिनत अनुभव इसमें साबित हो चुके है |

 जैसे सूर्य को अर्घ्य देने से कई प्रकार के लाभ मिलते है |

किन्तु आज जिस विषय की हम बात कर रहे है उसमे


हमे मिला की सूर्य उपनिषद कहता है

सूर्य समग्र पुरे विश्व की आत्मा है |

 सूर्य की रश्मियों में देवता-गन्धर्व-ऋषि आदि निवास करते है |

 सूर्य उपासना के बिना किसी का कल्याण होना संभव नहीं है |

चाहे आप कितनी भी उपासना कर ले |

पञ्चदेवता की उपासना में सूर्य उपासना का विशेष महत्व है

 अतः सूर्योपासना करनी ही चाहिए सूर्य उपासना में विशेष अर्घ्य का महत्व है


स्कंदपुराण में तो यहाँ तक लिखा है की

बिना सूर्य अर्घ्य दिए खाना खाना भोजन करना पाप समान है |

 अतः सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए | इसी कारण से षष्ठी के अवसर पर सूर्य उपासना का विशेष पर्व मनाया जाता है |


ब्रह्मपुराण भी कहता है

मानसं वाचिकं वाऽपि कायजं यच्चदुष्कृतम्

सर्व सूर्यप्रसादेन तदऽशेषं व्यपोऽहति || 

जो भगवान् सूर्य की उपासना करता है उन्हें मनोभिलषित फल मिलता है

सूर्य साधक की सभी कामनाये पूर्ण करता है |

उनकी कृपा से साधक मानसिक-वाचिक-शारीरिक सभी

पीड़ाओं से मुक्त हो जाता है और सभी पापो का विनाश हो जाता है


अग्निपुराण के अनुसार गायत्री मंत्र से भी सूर्य को अर्घ्य देकर

उपासना कर सकते है |

स्कंदपुराण के अनुसार सूर्य आराधना करने से धर्म-अर्थ-कर्म-मोक्ष की प्राप्ति होती है |

यजुर्वेद कहता है की सूर्य सभी कर्मो के साक्षी है चाहे हम जो भी कर्म करे शुभ या अशुभ हमारे सभी कर्मो के वो साक्षी है |

"साक्षी स्वरूपिणे सूर्यनारायणाय नमः|

"जगचक्षु स्वरूपी सूर्याय नमः"

अर्थात पुरे विश्व के चक्षु है भगवान् सूर्य |

ऋग्वेद के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से पापो से मुक्ति मिलती है |

रोगो का विनाश हो जाता है |

दरिद्रता का निवारण होता है |

संतान की प्राप्ति होती है |

सामाजिक मान-सन्मान प्राप्त होता है |

शिवपुराण के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने की विधी |


सूर्य अर्घ्य मंत्र

सिन्दूरवर्णाय सुमण्डलाय नमोस्तु वज्राभरणाय तुभ्यम् |

पद्माभनेत्राय सुपङ्कजाय ब्रह्मेन्द्रनारायणकारणाय |

सरकतचूर्ण ससुवर्णतोयंस्त्रककुंकुमाँढ़यं सकुशं सपुष्पम् |

प्रदत्तमादायसहेमपात्रं प्रशस्तमर्घ्यं भगवन प्रसीद ||


सिंदूर वर्ण के रूप मण्डलवाले, हीरे आदि आभूषण से अलङ्कृत, कमल के समान नेत्रोंवाले,

हाथ में कमल धारण किये हुए, ब्रह्मा-विष्णु- इन्द्रादि देवता के कारणभूत |

हे आदित्य आपको मेरा नमस्कार है |

हे भगवान् आप सुवर्ण पात्र में रक्तवर्ण ( रक्तचंदन ), कुमकुम, कुश (दर्भ ), पुष्प से युक्त रक्तवर्ण वाले जल को स्वीकार करे |

इस रक्तवर्णी अर्घ्य को स्वीकार करे ||


|| अस्तु ||

सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ? सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र | Surya ko arghya kyu dete hai ? सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ? सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र | Surya ko arghya kyu dete hai ? Reviewed by Bijal Purohit on 5:31 pm Rating: 5

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