तुलसी पत्ता तोड़ने का मंत्र | Tulsi Patta Todne ka Mantra |
तुलसी पत्ता तोड़ने का मंत्र
तुलसी पत्ता तोड़ने से पहले सदैव बात रखे यह बाते |
क्युकी बहुत काम लोग यह जानते है की तुलसी पत्ता ऐसे वैसे नहीं तोडना चाहिए
यह दोष कारक होता है |
तुलसी पत्र को कैसे तोडना चाहिए ?
तुलसी के एक एक पत्ते को बिना पत्तियों के अग्र भाग को तोडना चाहिए |
तुलसी पौधे को हिलाये बिना ही अग्रभाग से पत्ता तोडना चाहिए |
तुलसी पत्ता तोड़ने का मंत्र |
तुलसी पत्ता तोड़ते समय अगर मंत्र बोलै जाए तो जिस प्रावधान के लिये हम तुलसी पत्र को तोड़ते है उसमे हमें सफलता मिलती है |
उस पूजा का फल लाख गुना बढ़ जाता है |
मंत्र
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया |
चिनोमि केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने |
त्वदङ्ग सम्भवैः पत्रैः पूजयामि यथा हरिं |
तथा कुरु पवित्राङ्गी कलौ मलविनाशिनी ||
इस मंत्र को बोलने के बाद या बोलते समय तुलसी पत्ता तोड़े |
इस प्रकार से पत्ता तोड़ने से कलियुग के सभी मल विनाश हो जाते है |
तुलसी पत्ता कब तोडना चाहिए ?
तुलसी पत्ता मंगलवार-शुक्रवार-रविवार नहीं तोडना चाहिए |
वैधृतियोग-व्यतिपातयोग के दिन नहीं तोडना चाहिए |
द्वादशितिथी-पूर्णिमा-और अमावस्या के दिन नहीं तोडना चाहिए |
संक्रांति के दिन या जनना या मरणा शौच में ( सूतक में ) नहीं तोडना चाहिए |
प्रातःकाल-मध्याह्नकाल में - सायंकाल में नहीं तोडना चाहिए |
किसी भी पर्व-त्यौहार के दिन नहीं तोडना चाहिए |
किन्तु शास्त्रों में यह भी लिखा हुआ है की बिना तुलसी के नारायण अधूरे माने जाते है तो ऐसे में क्या करना चाहिए ?
तो ऐसे समय में स्वयं गिरे हुए तुलसी के पत्ते लेकर
भगवान् विष्णु को अर्पण करे |
जिसके घर में शालिग्राम है वो सभी दिनों में तुलसी पत्ता तोड़सकते है उन्हें कोई दोष नहीं लगता | निषिद्ध दिनों में भी वह पत्ता तोड़ सकते है |
बिना स्नान किये या जूते पहनकर कभी भी तुलसी पत्ता ना तोड़े |
|| तुलसी मंत्र समाप्तः ||
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