विष्णु द्वादशाक्षर मन्त्र विधान | Vishanu Dwadashakshar Mantra |
विष्णु द्वादशाक्षर मन्त्र विधान
इस मंत्र के विधान में विनियोग-न्यास आदि का प्रावधान बताया हुआ है |
भगवान् विष्णु के इस मंत्र के जाप करने के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिये |
भगवान् विष्णु के मंदिर में या घर में ही भगवान् विष्णु की मूर्ति या तुलसी के पौधे के सामने या पीपल के पेड़ के निचे इस मंत्र का जाप करने से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है |
|| अथ मन्त्र विधान ||
विनियोग के लिये अपने दाए हाथ में जल ग्रहण करे | और निम्न विनियोग पढ़कर जल किसी पात्र में छोड़ दे |
विनियोगः
ॐ श्री नमोभगवते वासुदेवाय मंत्रस्य प्रजापति ऋषिः |
गायत्री छन्दः | वासुदेव परमात्मादेवता | सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः |
ऋष्यादिन्यास:
ॐ प्रजापति ऋषये नमः शिरसि | बोलकर अपने सिर को स्पर्श करे |
गायत्री छन्दसे नमः मुखे | बोलकर अपने मुख को स्पर्श करे |
वासुदेवपरमात्मा देवतायै नमः हृदि | बोलकर अपने ह्रदय को स्पर्श करे |
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे |
बोलकर दोनों हाथो को सिर से लेके पुरे शरीर के ऊपर
घुमाये |
अङ्गन्यासः
ॐ अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | नमो तर्जनीभ्यां नमः | भगवते मध्यमाभ्यां नमः |
वासुदेवाय अनामिकाभ्यां नमः | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
हृदयादिन्यास
ॐ हृदयाय नमः | नमो शिरसे स्वाहा | भगवते शिखायै वौषट |
वासुदेवाय कवचाय हुम् | ॐ नमो भगवते अस्त्राय फट |
मंत्रवर्णन्यास:
ॐ ॐ नमः मूर्घ्नि |
ॐ नं नमः भाले |
ॐ मों नमः नेत्रयोः |
ॐ भं नमः मुखे |
ॐ गं नमः गले |
ॐ वं नमः बाह्वो |
ॐ तें नमः हृदये |
ॐ वां नमः कुक्षौ |
ॐ सुं नमः नाभौ |
ॐ दें नमः लिङ्गे |
ॐ वां नमः जान्वो |
ॐ यं नमः पादयोः |
श्री विष्णु ध्यान
सशँख चक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणं |
संहार वक्षं स्थलकौस्तुभ श्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजं ||
|| द्वादशाक्षर मंत्र ||
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भगवान् विष्णु का मूल मंत्र जो नारायण को सर्वोत्तम प्रिय है |
इस मूल मन्त्र के 12 लाक्ष मंत्रानुष्ठान का विधान है |
किन्तु मध्यमानुष्ठान सवालक्ष का कर सकते है |
लघु अनुष्ठान 12000 का भी कर सकते है |
अनुष्ठान पूर्ण हो जाने के बाद तद्दशांश यज्ञ
तद्दशांश तर्पण
तद्दशांश मार्जन
तद्दशांश ब्रह्मभोजन कराये |
|| विष्णुद्वादशाक्षर मंत्र विधान सम्पूर्णं ||
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