कुमारी स्तोत्र | Kumari Stotram |

 

कुमारी स्तोत्र

कुमारी स्तोत्र


जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्ति स्वरुपिणि |

पूजा गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तुते ||  ||


त्रीपुरां त्रिपुराधारां त्रिबर्षां ज्ञानरूपिणीम् |

त्रैलोक्य वन्दितां देवीं त्रिमूर्ति पूजयाम्यहम् ||  ||


कालात्मिकां कलातीतां कारुण्यहृदयां शिवाम् |

कल्याणजननीं देवीं कल्याणीं पूजयाम्यहम् ||  ||


अणिमादिगुणाधाराम् अकाराद्यक्षरात्मिकाम् |

अनन्तशक्तिकलां लक्ष्मीं रोहिणीं पूज्याम्यहम् ||  ||


कामाचारीं शुभा कान्तां कालचक्रस्वरूपिणीम् |

कामदां करुणोदारां कालिकां पूज्याम्यहम् ||  ||


चण्डवीरां चण्डमायां चण्डमुण्डप्रभञ्जनीम् |

पूजयामि सदा देवीं चण्डिकां चण्डविक्रमाम् |  ||


सदानन्दकारीं शान्तां सर्वदेव नमस्कृताम् |

सर्वदेवात्मिकां लक्ष्मीं शाम्भवीं पूजयाम्यहम् ||  ||


दुर्ग्गमे दुस्तरेकार्य्ये भवदुःखविनाशिनिम् |

पूजयामि सदा भक्त्या दुर्गां दुर्ग्गार्त्तिनाशिनीम् ||  ||


सुन्दरीं सर्व्ववर्णाभां सुखसौभाग्यदायिनीम् |

सुभद्राजननीं देवीं सुभद्रां पूजयाम्यहम् ||  ||


|| इति कुमारी स्तोत्र सम्पूर्णम् ||

कुमारी स्तोत्र | Kumari Stotram | कुमारी स्तोत्र | Kumari Stotram | Reviewed by Bijal Purohit on 4:23 am Rating: 5

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