श्री नीलसरस्वती स्तोत्र | Nilsarasvati Stotra |


 श्री नीलसरस्वती स्तोत्र

 श्री नीलसरस्वती स्तोत्र


घोररुपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि |

भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् || ||

भयानक रुपवाली, घोर निनाद करनेवाली,

 सभी शत्रुओंको भयभीत करनेवाली तथा भक्तोंमे वर प्रदान करनेवाली 

हे देवि, आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते |

जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम् || ||

देव तथा दानवोंके द्वारा पूजित,सिद्धों तथा 

गन्धर्वोंके द्वारा सेवित और जड़ता तथा पापको हरनेवाली 

हे देवि, आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि |

द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम् || ||

जटाजुटसे सुशोभित, चंचल जिह्वाको अंदरकी ओर करनेवाली, 

बुद्धिको तीक्ष्ण बनानेवाली हे देवि, 

आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


सौम्यक्रोधधरे रुपे चण्डरुपे नमोऽस्तु ते |

सृष्टिरुपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् || ||

सौम्य क्रोध धारण करनेवाली, उत्तम विग्रह वाली,

प्रचण्ड स्वरुपवाली हे देवि, आपको नमस्कार है |

हे सृष्टिस्वरुपिणि, आपको नमस्कार हैं |

आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला |

मूढतां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् || ||

आप मुर्खोंकी मुर्खताका नाश करती हैं और

भक्तोंके लिये भक्तवत्सला हैं |

हे देवि, आप मेरी मूढ़ताको हरें और मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नमः |

उग्रतारे नमो नित्यं  त्राहि मां शरणागतम् || ||

वं ह्रूं ह्रूं बीजमन्त्रस्वरुपिणी हे देवि,

मैं आपके दर्शनकी कामना करता हूँ |

बलि तथा होमके प्रसन्न होनेवाली हे देवि, आपको नमस्कार है |

उग्र आपदाओंसे तारनेवाली हे उग्रतारे,

आपको नित्य नमस्कार है,

आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे |

मूढत्वं हरेद्देवि  त्राहि मां शरणागतम् || ||

हे देवि, आप मुझे बुद्धि दें, कीर्ति दें,

कवित्वशक्ति दें और मेरी मूढताका नाश करें |

आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


इन्द्रादिविलसद्द्वन्द्ववन्दिते करुणामयि | 

तारे ताराधिनाथास्ये  त्राहि मां शरणागतम् || ||

इंद्रा आदिके द्वारा वन्दित शोभायुक्तचरणयुगलवाली,

करुणासे परिपूर्ण, चन्द्रमाके समान मुखमण्डलवाली और

जगत्को तारनेवाली हे भगवती तारा,

आप मुझ शरणागतकी रक्षा करें || ||


अष्टम्यां चतुर्दश्यां नवभ्यां यः पठेन्नरः |

षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा || ||

जो मनुष्य अष्टमी,

नवमी तथा चतुर्दशी तिथिको इस स्तोत्रका पाठ करता है, वह छः महीनेमें सिद्धि प्राप्त कर लेता है,

इसमें कोई संदेह नहीं करना चाहिये || ||


मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम् |

विद्यार्थी लभते विद्यां तर्कव्याकरणादिकम् || १० ||

इसका पाठ करनेसे मोक्षकी कामना करनेवाला मोक्ष प्राप्त कर लेता है,

धन चाहनेवाला धन पा जाता है

और विद्या चाहनेवाला विद्या तथा तर्क व्याकरण

आदिका ज्ञान प्राप्त कर लेता है || १० ||


इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाऽन्वितः |

तस्य शत्रुः क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते || ११ ||

जो मनुष्य भक्तिपरायण होकर सतत इस स्तोत्रका पाठ करता है, उसके शत्रुका नाश हो जाता है और उसमें महान् बुद्धिका उदर हो जाता है || ११ ||


पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये |

इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य संशयः || १२ ||


इति प्रणम्य स्तुत्वा योनिमुद्रां प्रदर्शयेत् || १३ ||

जो व्यक्ति विपत्तिमें, संग्राममें, मूर्खत्वकी दशामें, दानके समय तथा भयकी स्थितिमें इस स्तोत्रको पढ़ता है,

उसका कल्याण हो जाता है,

इसमें कोई संदेज नहीं है |

इस प्रकार स्तुति करनेके अनन्तर देवीको प्रणाम करके उन्हें

योनिमुद्रा दिखानी चाहिए || १२-१३ ||


|| इति नीलसरस्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ||

श्री नीलसरस्वती स्तोत्र | Nilsarasvati Stotra |  श्री नीलसरस्वती स्तोत्र | Nilsarasvati Stotra | Reviewed by Bijal Purohit on 3:36 am Rating: 5

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