पाशुपतास्त्र शांति प्रयोग | Paashupatastra mantra |
पाशुपतास्त्र शांति प्रयोग
पाशुपतास्त्र शांति प्रयोग
यह पाशुपतास्त्र विद्या भगवान् शिवजी ने स्कन्द को बताई हुई थी |
इस पाशुपतास्त्र विद्या से सभी संकटो का विनाश हो जाता है |
इस विद्या की एक बार आवृत्ति करने मात्र
से ही मनुष्य सर्व विघ्नो का विनाश कर देता है |
समस्त उत्पातो का नाश हो जाता है |
युद्ध आदि में विजय प्राप्त कर लेता है |
इस मंत्र के द्वारा घी और गुग्गुल से यज्ञ करने
से मनुष्य असाध्य कार्यो में सिद्धि प्राप्त कर लेता है |
इस पाशुपतास्त्र के पाठ मात्रा से मनुष्य सभी सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है |
इस मंत्र का आंशिक पाठ करने से पूर्वकृत पापो का विनाश हो जाता है |
( अग्निपुराण - अध्याय - ३२२ )
ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपञ्चनयनाय नानरूपाय नानाप्रहरणोद्यतापसर्वाङ्गरक्तायभिन्नाञ्जनचयप्रख्याय श्मशानवेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तनरताय सर्वसिद्धिप्रदायभक्तानुकम्पिनेअसंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभजनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभञ्जनायसूर्यसोमाग्निनेत्राय विष्णुकवचाय
खड्गवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय
रुद्रशूलाय ज्वलज्जिह्वाय सर्वरोगविद्रावणाय
ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षयकारिणे |
ॐ कृष्णपिङ्गलाय फट् | हुंकारास्त्राय फट् |
वज्रहस्ताय फट् | शक्तये फट् |
दण्डाय फट् | यमाय फट् | खड्गाय फट् |
नैऋताय फट् | वरुणाय फट् | वज्राय फट् |
पाशाय फट् | ध्वजाय फट् | अङ्कुशाय फट् |
गदायै फट् | कुबेराय फट् | त्रिशूलाय फट् |
मुद्गराय फट् | चक्राय फट् | पद्माय फट् |
नागास्त्राय फट् | ईशानाय फट् |
खेटकास्त्राय फट् | नागास्त्राय फट् |
मुण्डास्त्राय फट् | कङ्कालास्त्राय फट् |
पिच्छिकास्त्राय फट् | क्षुरिकास्त्राय फट् |
ब्रह्मास्त्राय फट् | शक्तयस्त्राय फट् |
गणास्त्राय फट् | सिद्धास्त्राय फट् |
पिलिपिच्छास्त्राय फट् | गंधर्वास्त्राय फट् |
पूर्वास्त्राय फट् | दक्षिणास्त्राय फट् |
वामास्त्राय फट् | पश्चिमास्त्राय फट् |
मंत्रास्त्राय फट् | शाकिन्यस्त्राय फट् |
योगिन्यस्त्राय फट् |
दण्डास्त्राय फट् | महादण्डास्त्राय फट् |
नमोऽस्त्राय फट् | शिवास्त्राय फट् | ईशानास्त्राय फट् |
पुरुषास्त्राय फट् | अघोरास्त्राय फट् |
सद्योजातास्त्राय फट् | हृदयास्त्राय फट् | महास्त्राय फट् |
गुरुडा स्त्राय फट् | राक्षसास्त्राय फट् |
दानवास्त्राय फट् | क्षौं नरसिम्हास्त्राय फट् |
त्वष्ट्रस्त्राय फट् | सर्वास्त्राय फट् |
नः फट् | वः फट् | पः फट् | फः फट् | मः फट्
| श्रीः फट् | पेः फट् | भूः फट् | भुवः फट् |
स्वः फट् | महः फट् | जनः फट् | तपः फट् |
सत्यं फट् | सर्वलोक फट् | सर्वपाताल फट् |
सर्वतत्व फट् | सर्वप्राण फट् | सर्वनाड़ी फट् |
सर्वतत्व फट् | सर्वप्राण फट् | ह्रीं फट् |
श्रीं फट् | ह्रूं फट् | स्त्रुं फट् | स्वां फट् |
लां फट् | वैराग्याय फट् | मायास्त्राय फट् |
कामास्त्राय फट् | क्षेत्रपालास्त्राय फट् |
हुंकारास्त्राय फट् | भास्करास्त्राय फट् |
चंद्रास्त्राय फट् | विघ्नेश्वरास्त्राय फट् |
गौ: गां फट् | खों खौं फट् | हौं हों फट् |
भ्रामय भ्रामय फट् | संतापय संतापय फट् |
छादय छादय फट् | उन्मूलय उन्मूलय फट् |
त्रासय त्रासय फट् | संजीवय संजीवय फट् |
विद्रावय विद्रावय फट् | सर्वदुरितं नाशय नाशय फट् |
(कृपया ध्यान दे
कुछ जगह पर इसमें एक पंक्ति अधिक दी हुई है और कुछ जगह पर कम किन्तु चिंता करने की आवश्यकता नहीं है इससे इसके फल मेंकोई कमी नहीं आएगी )
|| इति श्री पाशुपतास्त्र शांति प्रयोग ||
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