शिव स्तुति | Shiv Stuti |

 

शिव स्तुति

शिव स्तुति

 शिवं शिवकरं शान्तं शिवात्मानं शिवोत्तमः |

शिवमार्ग प्रणेतारं प्रणमामि सदाशिवम् ||

 भगवान् शिव शिवकर अर्थात् कल्याण करने वाले हैंवे शान्त है और शिवात्मान अर्थात् कल्याण आत्मा हैं |शिवोत्तम अर्थात् उत्तमकल्याण ही हैं |

जो शिवमार्ग के प्रणेता हैंऐसे सदाशिव को मैं नमस्कार करता हूँ |


शाश्वतं शोभनं शुद्धं स्मरद्दोष प्रमोक्षकम् |

विश्वं विश्वेश्वरं देवं शङ्करं प्रणमाम्यहम् ||

वे शाश्वतशोभनशुद्ध और कामदोष से छुटकारा दिलाने वाले हैं | वे देव विश्व हैंविश्व के ईश्वर हैंउन देव शंकर को मैं प्रणामकरता हूँ |


सर्वपापहरं नाथं सर्वरोगहरं शुभम् |

सर्वबाधाहरं नित्यं नामम्यार्तिहरं परम् ||

वे सभी पापों को हरने वाले नाथ हैंसभी रोगों का हरण कर शुभ करने वाले हैं |वे सभी बाधाओं के हरणकर्ता हैं,उन आर्तिहर परम शिवको मैं नित्य ही नमस्कार करता हूँ |


आस्थानस्थान संस्थान संस्थितस्थितिभासकम् |

शिरस्थानस्थ योगस्थं स्थाणुमीशं नमाम्यहम् ||

वे सभी स्थान संस्थानों के आस्थान हैंसदा स्थिति 

संस्थित रुप में हैंवे शिरस्थान पर स्थित हैंयोगारूढ़ हैंऐसे स्थाणु शिवलिंग रुप ईश को मैं नमस्कार करता हूँ |


ईशानं पुरुषं घोरं वामं सद्यं महेश्वरम् |

ईशानं सर्वभूतानां ईश्वरं प्रणमाम्यहम् |

ईशानं वरदं देवं ईशामनन्त नायकम् ||

उन महेश्वर ईशानमूर्ति हैतत्पुरुषमूर्ति हैअघोरमूर्तिवामदेव और सद्योजात हैऐसे ईशान को और सभी भूतप्राणियों के ईश्वर को मैंप्रणाम हूँ | वे ईशानवरददेवईश और अनन्त नायक हैं |

इति पूजाविधिं पुण्यं यः शृणोति सकृन्नरः |

 मुक्तः सर्वपापेभ्यः शिवलोके महीयते ||

शिव की इस पुण्यमयी पूजाविधि को जो व्यक्ति सुनता हैवह शीघ्र ही सब पापों से विमुक्त्त होकर शिवलोक को प्राप्त होता है |


|| श्री शिवार्पणम् अस्तु ||

|| अस्तु ||

शिव स्तुति | Shiv Stuti | शिव स्तुति | Shiv Stuti | Reviewed by Bijal Purohit on 2:12 pm Rating: 5

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